Tuesday, January 21, 2014

दिल्ली मे मुख्य मंत्री को कैसा होना चाहिये

दिल्ली मे मुख्य मंत्री को कैसा होना चाहिये ? उसके विचार और कार्य योज़ना किस तरह की होनी चाहिये ? उसके काम करने का तरीका और नज़रिया किस तरह का होना चाहिये ? ये सारे सवाल इस धरने और अरविन्द केज़रीवाल के तौर तरीकों के बाद बहुत तेज़ी से उभरे हैं. सोमनाथ भारती के क्रिया कलाप , पुलिस से झडप और उनके तौर तरीकों के समर्थन में सडक पर उतरे अरविन्द केज़रीवाल ने यह साबित कर दिया है कि कई मुद्दे उनकी समझ और एजेंडे से बाहर हैं..... उन तमाम मुद्दों और एजेंडों से से पहले केज़री वाल से एक अहम सवाल पूछा ही जाना चाहिये कि 'इंसान का इंसान से हो भाई चारा' ये गीत जब उन्होने शपथ लेते हुए गाया था तब क्या उन इंसानों में दिल्ली में बडे पैमाने पर रहने वाले विदेशी खासकर अफ्रीकन नागरिक उस इंसान की श्रेणी में नहीं थे जिसके बारे में केज़रीवाल का ये गाना था ? क्या केज़री वाल को यह पता नहीं है कि जिस प्रदेश के वो मुख्य मंत्री की शपथ ले रहे हैं वह देश की राजधानी है ? जहां भारतीय महिलाओं के अलावा भी महिलायें रहती हैं और उनकी सुरक्षा सम्मान और इज़्ज़त का मसला भी दिल्ली के मुख्य मंत्री की समझ में आना चाहिये ? क्या उनको पता नहीं कि भारत और उन देशों की संस्कृति, रहन सहन और सोचने समझने का तरीकी अलग है ? क्या उनको ये पता नहीं है कि किसी भी महिला का सडक पर खडा होना अपराध नहीं है ? केज़री वाल या किसी अन्य को जो भी दिल्ली का मुख्य मंत्री है या होगा उसकी राजनीति का आकाश कई मायनों में व्यापक होना चाहिये /होना ही चाहिये . इस लिहाज़ से केज़रीवाल और उनके मंत्रियों को ना केवल अपनी समझ विकसित करनी होगी बल्कि कायदे भी सीखने होंगे. अब सवाल है कि दिल्ली का मुख्य मंत्री कैसा होना चाहिये ? केज़री वाल जब अपनी लडाई लड रहे थे तब उनके आन्दोलन के समय पूरे देश ने उनमें एक ऐसा नेता देखा था जो देश की तकदीर बदल सकता है. उम्मीदें पाली थीं और उनको समर्थन दिया था. इस समर्थन के कई मतलब थे ... इस मतलब में एक बडा मतलब .....उनसे समझदारी की उम्मीद भी थी .........सिर्फ उनसे ही नहीं बल्कि उनके साथी और उनकी पूरी टीम से ....... दिल्ली एक ऐसी जगह है जहां देश का राष्ट्र पति भी रहता है, प्रधन मंत्री भी तो वहीं दूसरी तरफ तमाम जगहों से रोजगार की तलाश में गये मजदूर भी और खुद दिल्ली के मूल निवासी .......मतलब यह कि इसी जगह कानून भी बनता है ....सोचने समझने वाले लोग भी रहते है और खाप पंचायतों वाले दिमाग के लोग भी ....विदेश छात्र जो बाहर से आते हैं उन्हें अपनी हैसियत के अनुसार यहीं के समाज के साथ रहना पडता है ....अब यहां दो संस्कृतियों दो समाज को एक साथ मिलकर रहना पडता है ऐसे में ........ अब यहां के मूल निवासियों को उनसे बहुत तरह की आप्त्तियां हो सकती हैं .........इन आपत्तियों में उन समाजों का खुला व्यवहार , रहने के तौर तरीके और खान पान भी है .......... दिल्ली के अन्दर बसने वाले गांव जहां बडे पैमाने पर विदेशी लोग अपनी हैसियत के अनुसार रहते हैं को कई विरोधों / घृणा भरी दृष्टि का समना करना पडता है ............ऐसा नहीं है कि इस तरह की भावना सिर्फ इन अफ्रीकी देशों के बछों /नागरिकों के साथ है / इस तरह के भाव सुदूर पूर्व से आये छत्र छात्राओं के साथ भी होता है ........ मुनिरका गांव इसका सब्से बडा उदाहरण है .........ऐसे में प्रदेश के राजनितिक व्यक्तित्व का आचरण कैसा होना चाहिये ? उनकी सुरक्षा और दो देशों के राजनयिक सम्बन्धों के मद्दे नज़र इस प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनकी टीम की सोच कैसी होनी चाहिये ? उनकी कारय योज़ना कैसी होनी चाहिये ? यह सोचने वाला सवाल है .......... दूसरी जो बेहद आपत्तिजनक और महत्व्पूर्ण बात है वह यह कि सोमनाथ भारती पर यह सीधा आरोप है कि उन्होने उस अफ्रीकी महिला को रात में मूत्र सैम्पल देने को मजबूर किया .जब्कि दिल्ली के कानून मंत्री को इस बात का पता नहीं था कि भारत का कानून सी आर पी सी इसकी इज़ाज़त नहीं देता ? ऐसे में अपने मंत्री को सज़ा देने / सफाई देने की जगह सारी पार्टी उनके समर्थन में धरने पर उतर आयी ? सारी पार्टी ने पुलिस / प्रशासन सबको देख लेने की धमकी दे डाली ? शर्म नाक है ये और इंसान का इंसान से हो भाई चारा गाने वाले मुख्य मंत्री से ये उम्मीद नहीं थी देश को ............ एक बात और जो लगे हाथ केज़रीवाल से पूछ लेनी चाहिये वो ये कि केज़री वाल जी की महिला निति क्या है आखिर ? वो महिलाओं को किस तरह से देखते हैं ? यह सवाल आप की महिला सदस्यों से भी पूछा जाना चाहिये कि आप की महिला नीति क्या है ? और वो महिलाओं की सुरक्षा का सवाल अभी तह्खाने में डालें ..पहले इस बात का खुलासा करें कि आप की महिला निति क्या है ? वो महिलाओं के प्रश्न उनके मुद्दे और उनकी नागरिकता के सवाल को किस तरह से देखते हैं ......वो आप की रजनीति में महिलाओं की हिस्से दारी क्या तय करते हैं और इस बात का भी खुलासा करें कि उनके मंत्री संत्री कितने जेंडर सेंसीटिव हैं ......तब कहीं जाकर ये बात समझ में आयेगी कि यह नये युग की पार्टी इस देश का कैसा भविष्य तय करेगी ...................................